रामवृक्ष बेनीपुरी

रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 23 दिसम्बर, 1899 ई. में बेनीपुर नामक गाँव, मुज़फ़्फ़रपुर ज़िला, बिहार में हुआ था। इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा अपने गाँव की पाठशाला में ही पाई थी। बाद में वे आगे की शिक्षा के लिए मुज़फ़्फ़रपुर के कॉलेज में भर्ती हो गए।इसी समय राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने ‘रौलट एक्ट’ के विरोध में ‘असहयोग आन्दोलन’ प्रारम्भ किया।

ऐसे में बेनीपुरी जी ने भी कॉलेज त्याग दिया और निरंतर स्वतंत्रता संग्राम में जुड़े रहे। इन्होंने अनेक बार जेल की सज़ा भी भोगी। ये अपने जीवन के लगभग आठ वर्ष जेल में रहे। समाजवादी आन्दोलन से रामवृक्ष बेनीपुरी का निकट का सम्बन्ध था। ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के समय जयप्रकाश नारायण के हज़ारीबाग़ जेल से भागने में भी रामवृक्ष बेनीपुरी ने उनका साथ दिया और उनके निकट सहयोगी रहे।

रामवृक्ष बेनीपुरी की आत्मा में राष्ट्रीय भावना लहू के संग लहू के रूप में बहती थी जिसके कारण आजीवन वह चैन की साँस न ले सके। उनके फुटकर लेखों से और उनके साथियों के संस्मरणों से ज्ञात होता है कि जीवन के प्रारंभ काल से ही क्रान्तिकारी रचनाओं के कारण बार-बार उन्हें कारावास भोगना पड़ा। सन् १९४२ में अगस्त क्रांति आंदोलन के कारण उन्हें हजारीबाग जेल में रहना पड़ा।

जेलवास में भी वह शान्त नहीं बैठे सकते थे। वे वहाँ जेल में भी आग भड़काने वाली रचनायें लिखते थे। जब भी वे जेल से बाहर आते उनके हाथ में दो-चार ग्रन्थों की पाण्डुलिपियाँ अवश्य होती थीं, जो आज साहित्य की अमूल्य निधि बन गईं हैं। उनकी अधिकतर रचनाएं कारावास की कृतियाँ हैं।

सन् १९३० के कारावास काल के अनुभव के आधार पर पतितों के देश में उपन्यास का सृजन हुआ। इसी प्रकार सन् १९४६ में अंग्रेज भारत छोड़ने पर विवश हुए तो सभी राजनैतिक एवं देशभक्त नेताओं को रिहा कर दिया गया। उनमें रामवृक्ष बेनीपुरी जी भी थे। कारागार से मुक्ति की पावन पवन के साथ साहित्य की उत्कृष्ट रचना माटी की मूरतें रेखाचित्र और आम्रपाली उपन्यास की पाण्डुलिपियाँ उनके उत्कृष्ट विचारों को अपने अन्दर समा चुकी थीं।

उनकी अनेक रचनायें जो यश कलगी के समान हैं उनमें जय प्रकाशनेत्रदानसीता की माँ, ‘विजेता’, ‘मील के पत्थर’, ‘गेहूँ और गुलाब’ शामिल हैं। ‘शेक्सपीयर के गाँव में’ और ‘नींव की ईंट’; इन लेखों में भी रामवृक्ष बेनीपुरी ने अपने देश प्रेम, साहित्य प्रेम, त्याग की महत्ता, साहित्यकारों के प्रति सम्मान भाव दर्शाया है वह अविस्मरणीय है।

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